नगर नियोजन / टाउन प्लानिंग
नगर नियोजन का कार्य राज्य के अधीन आता है।
- इसके अधीन नियोजन(Planning), निर्माण का नियंत्रण(control of construction), जनसंख्या वृद्धि तथा कस्बों और शहरी क्षेत्रों के विकास दोनों शामिल हैं।
- Town Planning किसी शहर या शहर की जनता के लिए आकर्षक तथा सुविधाजनक इमारतों (आवासीय, वाणिज्यिक, शैक्षिक, सड़क, लिंकेज, पार्क, परिवहन आदि) को बनाने के लिए डिज़ाइन या योजना का प्रारूप होता है।
- बहुत सरल शब्दों में टाउन प्लानिंग के मुख्य उद्धेश्य है :-
- जीवन की गुणवत्ता का सुधर करना।
- संतुलित और सामाजिक-आर्थिक विकास।
- भूमि का तर्कसंगत(Rational) उपयोग।
- संसाधनों और पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रशासनिक ज़िम्मेदारी।
Town Planning जनता की विभिन्न आवश्यकताओं जैसे कि सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, मनोरंजक, आदि की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए तथा शहर या शहर के बुनियादी ढांचे और वातावरण के भौतिक विकास के लिए मार्गदर्शन करने की कला है, जिससे जनता को एक स्वस्थ वातावरण तथा खुशहाल माहौल मिलता है।
उद्देश्य
- जनता के लिए स्वस्थ परिस्थितियाँ तथा वातावरण बनाना तथा उसको बढावा देना।
- ज़ोनिंग के सही उद्देश्य के लिए भूमि का सही उपयोग करना।
- क्रमबद्ध विकास सुनिश्चित करना।
- एक क्षेत्र का दूसरे क्षेत्र पर अतिक्रमण रोकना।
- सामाजिक, आर्थिक और मनोरंजक क्षेत्रों का निर्माण करना जैसे कि खुली जगह, पार्क, खेल के मैदान, आदि।
- नगर की वैयक्तिकता (individuality) का संरक्षण करना।
- शहर की योजना के सभी एलिमेंट्स के डिज़ाइन में सौंदर्य को संरक्षित करना।
नगर नियोजन के मूल सिद्धांत
Town Planning का मूल उद्देश्य हमारी भावी पीढ़ियों की बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करना और शहर या शहर की अव्यवस्थित वृद्धि को रोकना है। नगर नियोजन के कुछ प्रमुख सिद्धांत निम्न प्रकार हैं:
- जोनिंग
- आवास परिसर (Housing Complex)
- सार्वजनिक भवन (Public Buildings)
- ग्रीन बेल्ट
- मनोरंजन केंद्र(Recreational Centers)
- सड़क प्रणाली(Road System)
- सार्वजनिक सुविधाएँ और उपयोगिताओं(Public amenities and utilities)
सुनियोजित शहर क्या है?
एक शहर जो उचित बुनियादी ढाँचे, पर्यावरण, सड़कों के विकास, भूमि के समुचित उपयोग, कनेक्टिविटी, सामाजिक-आर्थिक विकास के साथ भविष्य की विकास नीति या विशेष भूमि या क्षेत्र की योजना के साथ रहने के लिए उपयुक्त होता है।
Town Planning जिन प्रमुख घटकों (components) पर आधारित होती है या प्लानिंग स्वयं इन घटकों पर काम करती हैं वह निम्न अनुसार हैं :
- स्वास्थ्य
- सौंदर्य
- सुविधा
- पर्यावरण
भारत के दो प्रमुख सु-नियोजित शहर
चंडीगढ़ शहर / City planning of Chandigarh
चंडीगढ़ शहर की योजना 1947 में ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता मिलने के बाद बनाई गई थी। चंडीगढ़ शहर पंजाब तथा हरियाणा दोनों राज्यों की राजधानी है। सर्व प्रथम, दो अमेरिकी आर्किटेक्ट अल्बर्ट मेयर और मैथ्यू नोवकी ने चंडीगढ़ शहर की योजना बनाई, लेकिन 1950 में मैथ्यू नोवकी की मृत्यु के बाद, चंडीगढ़ शहर की योजना के लिए ले-कोरबुसियर को नियुक्त किया गया।
चंडीगढ़ शहर के प्लानिंग कॉन्सेप्ट:
- चंडीगढ़ शहर की योजना 'नेबरहुड प्लानिंग' के कॉन्सेप्ट के आधार पर है।
- शहर की योजना एक 'fan-shaped' योजना की तरह लगती है।
- शहर की योजना 'ग्रिड आयरन पैटर्न' में है।
- चंडीगढ़ शहर को विभिन्न उद्देश्यों जैसे आवासीय, शैक्षिक, वाणिज्यिक, आदि के लिए 30 विभिन्न क्षेत्रों में विभाजित किया गया,और प्रत्येक क्षेत्र में 5000 से 20000 निवासियों के लिए योजना बनाई गई है। प्रत्येक सेक्टर का आकार 800 मीटर x 1200 मीटर है।
विकास:
चंडीगढ़ शहर का विकास 3 चरणों में हुआ :
- पहला चरण 1947 में - 30 सेक्टर विकसित किए गए।
- दूसरे चरण - 5 लाख लोगों को शामिल करने के लिए 31 से 47 सेक्टर विकसित किए गए।
- तीसरे चरण - सेक्टर 48 से सेक्टर 56 तक विकसित किया गए ।
ले-कोर्बुसिएर का दर्शनशास्त्र (philosophy):
चंडीगढ़ शहर की योजना मॉड्यूलर सिस्टम ’ अर्थात मानव पैमाने और अनुपात पर आधारित है, जहां शहर के विभिन्न क्षेत्र शरीर के प्रमुख हिस्सों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- मस्तिष्क - कैपिटल कॉम्प्लेक्स (प्रशासनिक)
- हार्ट- सिटी सेंटर (वाणिज्यिक क्षेत्र)
- फेफड़े- घाटी (हरा क्षेत्र)
- बुद्धि- शैक्षिक क्षेत्र (स्कूल, कॉलेज, आदि)
- नसें- सर्कुलेशन सिस्टम (सड़कें)
- आंत- औद्योगिक प्रणाली (कारखानों, उद्योग, आदि)
चंडीगढ़ शहर की सड़कें:
शहर की सड़कों को सात श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया था जिन्हें 'V7 सिस्टम' के रूप में जाना जाता है।
V1- अंतर-राज्यीय सड़कें (जो चंडीगढ़ शहर को अन्य शहरों या कस्बों से जोड़ती हैं)।
V2- प्रमुख बुलेवार्ड (टाउन या मेजर रोड में चौड़ी सड़कें)
V3- सेक्टर डेफ़िन्टर (प्रत्येक सेक्टर को परिभाषित करने वाली सड़कें)
V4- आवासीय इकाइयों के साथ बाजार की सड़कें (चंडीगढ़ में दुकानें ग्राउंड फ्लोर तथा फर्स्ट फ्लोर पर आवासीय इकाई हैं। ऐसा इसलिए ताकि को धूप और बारिश से बचाया जा सके, और लोगों के लिए आसान कवर पाथ वे मिल सके। )
V5- सेक्टरों में आंतरिक परिसंचरण सड़कें
V6- सेक्टरों में आंतरिक सड़कें
V7- फुटपाथ या पैदल पथ, तथा साइकिल ट्रैक
City planning of Gamdhi Nagar, Gujrat गाँधी नगर, गुजरात
- प्लानिंग पीरियड -1965 से 1970
- प्लानिंग स्टाइल - 'ग्रिड आयरन पैटर्न'।
- शहर की योजना दो भारतीय टाउन प्लानर - प्रकाश एम. आप्टे और एच. के. मेवाड़ा द्वारा बनाई गई थी।
- गांधीनगर का विकास 'सेंटर थीम' पर आधारित है।
- शहर की योजना का कॉन्सेप्ट अहमदाबाद में गांधीनगर के लिए एक अलग पहचान स्थापित करना और बनाए रखना है।
- गांधीनगर एक उच्च संरचित शहर है। इसके अलावा, इसमें नदी के किनारे ग्रिड पैटर्न वाली सड़कें हैं जो शहर की प्राकृतिक विशेषता का अनुसरण करती हैं।
- शहर का विकास लोगों के लिए एक संतुलित और स्वस्थ समुदाय प्रदान करता है। साथ ही, समाज के लिए सामाजिक और आर्थिक विकास भी करता है।
- गांधीनगर को साबरमती नदी के किनारे विकसित किया गया है। यह स्थल धीरे-धीरे उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम की ओर विकसित हो रहा है। लैंडस्केप सरस्वती नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है, जो शहर को राजसी स्वरूप देता है।
- शहर के अधिकांश विचार और रणनीतियाँ अहमदाबाद और गांधीनगर के मास्टर प्लान में दिखाई देती हैं जिन्हें भूमि अधिग्रहण, वितरण और उपनियमों के लिए अपनाया गया है।
शहर का प्रमुख गतिविधि पैटर्न इस प्रकार है:
- औद्योगिक क्षेत्र
- आवासीय क्षेत्र
- सार्वजनिक सुविधाएं और संस्थागत क्षेत्र
- वाणिज्यिक क्षेत्र
- ग्रीन एरिया या ग्रीन बेल्ट
- खेल क्षेत्र
आर्किटेक्चर से संबंधित और रोचक पोस्ट देखने के लिए आप Architecture In Hindi के होम पेज को विजिट कर सकते है। Home page के लिए यहां Click करें।
Chandigarh city planning pdf Download हिंदी
इस विषय से संबंधित किसी भी प्रश्न के लिए और यदि आप अन्य विषयों पर कोई लेख चाहते हैं। तो कमेंट सेक्शन में हमें सुझाव देने के लिए स्वयं को स्वतंत्र महसूस करें। आप के कमेंट से हमे सदैव उत्साहित होते है।
2 टिप्पणियाँ
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएं